
श्रीनगर। गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय ढोल सागर विद्या के सम्राट 58 साल केे सोहनलाल को डाक्टरेट की उपाधि से सम्मानित करने जा रहा है। बता दें कि ढोलवादक सोहनलाल ढोल वादन के सभी आयामों में पारंगत हैं। पुजार गांव के पूर्व प्रधान रहे सोहनलाल ने 22 साल की उम्र में गढ़वाल के सभी जिलों में ढोल सागर का प्रदर्शन कर लोगों को अपनी कला से रिझाया है। गढ़वाल सभा द्वारा सोहनलाल को गढ़ विभूति से सम्मान से भी नवाजा गया है।
मूल रूप से टिहरी के रहने वाले हैं
57 साल के देवप्रयाग ब्लाक के पुजारगांव चंद्रवदनी (टिहरी) के मूल रूप से रहने वाले सोहन लाल पांडव, गोरिल, नागराजा, दिशा धांकुड़ी, बगड़वाल सहित ढोलन वाद के अन्य सभी आयामों के महारथी हैं।
पिता से सीखा था ढोल बजाना
पांच साल की उम्र से ही उन्होंने अपने पिता ग्रंथी दास से ढोल बजाना सीखने के साथ माता लौंगा देवी से चैत गीत (चैत्वाली), नागराजा गीत गाना भी सीखना शुरू कर दिया था, जिसके बाद बचपन से ही वह सिद्धपीठ मां चंद्रवदनी मंदिर में ढोल वादन करते रहे। सोहनलाल की ढोल वादन कला को समाज के सम्मुख लाने का श्रेय गड़वाल विश्वविद्यालय लोक कला केंद्र विभाग के प्रोफेसर डा. डीआर पुरोहित को जाता है।
अमेरिका तक सोहनलाल के ढोलवादन की गूंज
प्रो. पुरोहित ने बताया कि सिनसिनाटी यूनिवर्सिटी अमेरिका के स्टेफान थिरमोल और आस्ट्रेलिया के प्रो. एंड्रयू आल्टर भी सोहनलाल से ढोल सागर विद्या का प्रशिक्षण प्राप्त कर विदेशों में ढोल विद्या का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। सोहनलाल ने कहा कि गढ़वाल विवि द्वारा ढोल दमाऊं के साथ ही पहाड़ के पारंपरिक वाद्य यंत्रों के कलाकारों का सम्मान करना बहुत प्रशंसनीय है। इससे पहाड़ के अन्य छोटे कलाकारों को भी प्रोत्साहन मिलेगा। https://sarthakpahal.com/
गढ़वाल विवि का दीक्षांत समारोह एक दिसम्बर को
केंद्रीय विवि का दसवां दीक्षांत समारोह एक दिसम्बर को विवि के चौरास परिसर में आयोजित किया जायेगा। कुलपति प्रो. अन्नपूर्णा नौटियाल ने कहा कि कुल 4531 छात्र-छात्राओं को उपाधियां प्रदान की जायेंगी, जिसमें पीएचडी के 76 और स्नातकोत्तर के 246 छात्रों ने अपना पंजीकरण कराया है। कुछ विषयों में छात्रों को स्वर्ण पदक से भी सम्मानित किया जायेगा।