
चमोली (ज्योतिर्मठ), 17 मई। विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी पर्यटकों के लिए एक जून को खोल दी जाएगी। इसको लेकर नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क प्रशासन ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। इस बार घाटी में आने वाले पर्यटकों के लिए ऑनलाइन पंजीकरण की सुविधा भी मिलेगी। पार्क प्रशासन ने इसकी वेबसाइट को लांच कर दिया है। उत्तराखंड में चारधाम यात्रा शुरू होने के बाद ऐसे कई पर्यटक और धार्मिक स्थल हैं, जहां पर भक्तों और सैलानियों के लिए सरकार कई तरह की व्यवस्था करती है।
पर्यटक घर बैठे करवा सकते हैं रजिस्ट्रेशन
फूलों कीघाटी जाने के लिए घांघरिया में ऑफलाइन पंजीकरण किया जाता है जिसमें पार्क प्रशासन की ओर से निर्धारित शुल्क जमा करना होता है। इस बार पर्यटकों के लिए ऑनलाइन पंजीकरण की भी सुविधा उपलब्ध कर दी गई है। पर्यटक https://valleyofflower.uk.gov.in पर अपना पंजीकरण करवा सकते हैं। वहीं नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क के फूलों की घाटी रेंज की टीम घांघरिया के लिए रवाना हो गई है। टीम यहां बारिश से हुए नुकसान का आकलन करेगी। टीम के लौटने के बाद रास्तों की मरम्मत सहित अन्य कार्य किए जाएंगे। वेबसाइट को लगातार अपडेट किया जा रहा है. ताकि पर्यटकों को फोन पर भी फूलों कीघाटी और आसपास की जगह का पूरा ब्योरा दिया जा सके.
नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क के डीएफओ तरुण एस ने बताया कि इसके लिए वेबसाइट लांच कर दी गई है, पर्यटक इसमें ऑनलाइन शुल्क जमा कर पंजीकरण कर सकते हैं। फूलों की घाटी में बारिश से हुए नुकसान का आकलन करने के लिए टीम भेज दी गई है, जिसके बाद वहां काम शुरू किया जाएगा।
भारतीयों के लिए 200 और विदेशियों के लिए 800 रुपये शुल्क
भारतीयों ने लिए शुल्क 200 रुपए है. जबकि विदेशी नागरिकों के लिए 800 रुपए शुल्क निर्धारित किया गया है. चमोली के घांघरिया में टूरिस्ट के रूकने के लिए पर्यटन विभाग और फॉरेस्ट डिपार्टमेंट की तरफ से अच्छी खासी सुविधा उपलब्ध है. फूलों की घाटी में आने का सबसे शानदार मौसम जुलाई और अगस्त माह माना गया है. आपको फूलों की घाटी में तरह-तरह के फूल और वनस्पतियां दूर-दूर तक दिखाई देंगे. फूलों की महक से यह पूरी घाटी हमेशा महकते रहती है. साल 2013 की आपदा में इस घाटी को भी काफी नुकसान पहुंचता था. यहां पाई जाने वाली कई वनस्पतियां पूरी तरह से खत्म हो गई थी. हालांकि, विभाग की तरफ से साल दर साल घाटी में कई सुविधाएं बढ़ाई गई.देश विदेश की ताजा खबरों के लिए देखते रहिये https://sarthakpahal.com/
94 साल पहले सामने आई घाटी
फूलों कीघाटी के बारे में कहा जाता है कि इसकी खोज 1931 में एक ब्रिटिश पर्वतारोही फ्रैंक एस स्मिथ और आरएल होल्ड्सवर्थ ने की थी. वो यहां की खूबसूरती को देखकर मंत्रमुग्ध हो गए थे. यही कारण है कि वो यहां से जाने के बाद दोबारा घाटी में आए थे और उसके बाद उन्होंने एक किताब लिखी. जिसमें उन्होंने यहां की खूबसूरती को शब्दों में पिरोया. उसके बाद फूलों की घाटी लोगों के प्रकाश में आई. बता दें कि साल 2005 में फूलों की घाटी को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप स्थान दिया गया.