
हरिद्वार, 17 जुलाई। हरिद्वार में कांवड़ मेला चरम पर पहुंच चुका है। मुख्यमंत्री धामी भी हरिद्वार पहुंचे। इस दौरान उन्होंने कांवड़ियों का पैर धोकर स्वागत किया। उन्होंने खुद कांवड़ियों के पांव पखारकर आशीर्वाद प्राप्त किया। इसके बाद हरकी पैड़ी पर माैजूद कांवड़ यात्रियों के ऊपर हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा की गई। इस दाैरान हरकी पैड़ी पर कावंड़ यात्री उत्साहित नजर आए। वहीं, धर्मनगरी भी हर-हर महादेव के जयकारों से गूंज उठी। गंगा सभा एवं भारतीय नदी परिषद की ओर से गंगा तट पर विश्व के सबसे ऊंचे 251 फिट भगवा ध्वज की सीएम ने घोषण व शिलांयास किया।
शिवशक्ति प्रदर्शन नहीं, बल्कि आंतरिक साधना: सीएम
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि शिव शक्ति कोई प्रदर्शन नहीं, बल्कि, एक आंतरिक साधना है। भगवान महादेव को जलाभिषेक करने, जल अर्पित करने एवं उनकी अराधना करने की पवित्र यात्रा एवं अनुष्ठान है। महादेव को प्रसन्न करने के लिए अपनी मनोकामना को पूर्ण करने के लिए अपना शोधन करने लिए इस यात्रा को करते हैं। सीएम ने कांवड़ यात्रियों से अपील करते हुए कहा कि आपकी यात्रा के कारण किसी को भी पेरशानी न हो, यात्रा में किसी भी प्रकार का विघ्न व बाधा न हो, कावंड़ यात्रा के नियमों का पालन करें। आनंद में ही परमानंद की प्राप्ति होती है। परमानंद देने का काम यहां पर हो रहा है। वास्तव में यहां पर आनंद का अनुभव हो रहा है।
कहा कि यह अवसर भी सच में ये भगवान की कृपा के बिना प्राप्त नहीं होता है। बहुत सारे लोग सोचते होंगे कि हम कांवड मेंले में जाएं और कांवड लेकर आएंगे लेकिन अवसर मां गंगा व भगवान महादेव की कृपा से कुछ ही लोगों को प्राप्त हो पाता है। जिन पर मां गंगा की और भगवान शिव की कृपा होती है, उन्हीं को यह अवसर मिलता है। सीएम ने कहा कि भोले बाबा अपने नाम के अनुकुल ही बड़े भोले है। वे जल अर्पित करने मात्र से ही अपने सभी भक्तों की मनोकामनायें पूरी कर देते हैं। श्रावण मास में तो भगवान की भक्ति का प्रभाव अत्यधिक बढ़ जाता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड पवित्र देवभूमि है और देव भूमि का मूल स्वरूप बरकरार रखने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की जनसांख्यिकीय को सुरक्षित रखने के लिए राज्य में धर्मांतरण विरोधी, ‘भूमि जिहाद’, ‘लव जिहाद’ आदि को लेकर कठोर कदम उठाए गए हैं और देश में पहली बार राज्य के सभी नागरिकों पर समान नागरिक संहिता लागू की गई है।