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बदरीनाथ धाम में भगवान नर-नारायण का मनाया जा रहा जन्मोत्सव, सदियों से हैं तपस्यारत

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चमोली/देहरादून, 30 जुलाई। भू बैकुंठ बदरीनाथ धाम में भगवान नर-नारायण की जन्मोत्सव मनाया जा रहा है. दो दिवसीय नर-नारायण जन्मोत्सव के शुभारंभ के साथ भक्तिमय माहौल में डोली यात्रा निकाली गई. माना जाता है कि बदरीनाथ धाम में सदियों से भगवान नर और नारायण तपस्यारत हैं. जो लोक कल्याण के लिए तपस्यारत हैं.

बता दें कि बदरीनाथ धाम में 30 जुलाई से दो दिवसीय नर-नारायण महोत्सव का विधिवत शुभारंभ हो गया है. आज सुबह बदरीनाथ मंदिर में भगवान नर-नारायण की उत्सव मूर्ति का महाभिषेक और पूजन किया गया. फिर भोग लगाकर आरती उतारी गई. बदरीनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी रावल अमरनाथ नंबूदरी की अगुवाई में यह पूजा पाठ की प्रक्रिया संपन्न हुई.

इसके बाद सुबह 9:30 बजे भगवान नर-नारायण की उत्सव डोली भक्तजनों के साथ अपनी मां से मिलने माता मूर्ति मंदिर माणा के लिए रवाना हुई. माता मूर्ति मंदिर में नायब रावल सूर्यराग नंबूदरी ने भगवान का महाभिषेक और पूजन कर भोग अर्पित किया. इसके बाद दोपहर 12:30 बजे डोली दोबारे यात्रा करते हुए बदरीनाथ मंदिर लौट आई. इस अवसर पर बदरीनाथ मंदिर परिसर भक्ति एवं उल्लास से सराबोर रहा. वहीं, बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के उपाध्यक्ष ऋषि प्रसाद सती ने नर-नारायण जन्मोत्सव के अवसर पर सभी श्रद्धालुओं को शुभकामनाएं दीं और सभी के सुख, समृद्धि और कल्याण की कामना की. यात्रा एवं आयोजन की सुरक्षा व्यवस्था में पुलिस बल, आईटीबीपी, भारतीय सेना और एसडीआरएफ के जवान तैनात रहे.

भगवान की जन्मस्थली लीला ढूंगी में होगी विशेष पूजा-अर्चना: अगले दिन यानी कल भगवान की जन्मस्थली लीला ढूंगी में विशेष पूजा-अर्चना के साथ महोत्सव मनाया जाएगा. वहीं, ज्योतिर्मठ शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने मुंबई स्थित अपने चातुर्मास्य स्थल से संदेश जारी कर नर-नारायण के जन्मोत्सव पर सभी को शुभकामनाएं दी.

मानव कल्याण के लिए लीन हैं भगवान नारायण
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने बताया कि भगवान विष्णु के 24 अवतार हैं. उनमें एक अवतार नर और नारायण हैं. जो हिमालय में मनुष्य की सुखद कामना के लिए तपस्या कर रहे हैं. जितने लोगों को सुख मिल रहा है, वो नर-नारायण की तपस्या का फल है. मूर्ति माता से नर-नारायण अभिर्वभूत हुए थे. बदरीनाथ मंदिर के गर्भगृह में भगवान नारायण तपस्या में लीन हैं. उनके साथ नर भी हैं. मानव कल्याण के लिए नर-नारायण आज भी तपस्यारत हैं.देश विदेश की ताजा खबरों के लिए देखते रहिये https://sarthakpahal.com/

श्रावण मास शुक्ल पक्ष षष्ठी तिथि को जब सूर्य कर्क राशि में हों और हस्त नक्षत्र हो तो ये महोत्सव आता है. तब समस्त जन समुदाय की ओर से भगवान नर-नारायण की जन्मोत्सव मनाई जाती है. लोक कल्याण के लिए भगवान सदियों से बदरिकाश्रम में तपस्यारत हैं.
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती, शंकराचार्य, ज्योतिर्मठ

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