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पासपोर्ट बनाने के लिए अब बर्थ सर्टिफिकेट जरूरी, सरकार ने नियम में किया बदलाव

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नई दिल्ली, 1 मार्च। भारत सरकार ने पासपोर्ट बनवाने के लिए जन्म प्रमाण-पत्र अनिवार्य कर दिया है. इसके लिए पासपोर्ट नियम 1980 में संशोधन किया गया है, जिसके तहत अक्टूबर 2023 के बाद जन्म लेने वालों के लिए जन्म तिथि का एकमात्र दस्तावेज जन्म एवं मृत्यु रजिस्ट्रार, नगर निगम या किसी अन्य प्राधिकरण द्वारा जारी किया गया बर्थ सर्टिफिकेट (जन्म प्रमाण-पत्र) होगा.

विदेश मंत्रालय की तरफ से 24 फरवरी 2025 को जारी आधिकारिक अधिसूचना में कहा गया कि पासपोर्ट अधिनियम 1967 की धारा 24 के प्रावधानों के तहत पासपोर्ट नियमों में संशोधन किया गया है. पासपोर्ट संशोधन नियम 2025 आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशन की तिथि से लागू होगा. जिसके अनुसार 1 अक्टूबर, 2023 को या उसके बाद पैदा हुए व्यक्तियों के लिए जन्म तिथि के प्रमाण के रूप में सिर्फ जन्म प्रमाण पत्र मान्य होगा, जो ‘जन्म और मृत्यु रजिस्ट्रार या नगर निगम या जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम, 1969 के तहत किसी अन्य प्राधिकारी द्वारा जारी किए गए हों.

वहीं, पासपोर्ट नियम में संशोधन के बाद 1 अक्टूबर 2023 से पहले पैदा हुए लोग जन्म तिथि के प्रमाण के रूप में अन्य दस्तावेज प्रस्तुत कर सकते हैं. इनमें आवेदक की जन्म तिथि के साथ मान्यता प्राप्त स्कूलों या मान्यता प्राप्त शैक्षिक बोर्डों द्वारा जारी ट्रांसफर या मैट्रिकुलेशन प्रमाण पत्र शामिल हैं.

ये दस्तावेज भी मान्य
इसके अलावा आयकर विभाग द्वारा जारी स्थायी खाता संख्या (PAN) कार्ड, सरकारी कर्मचारियों के सेवा रिकॉर्ड की कॉपी या सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारियों के पेंशन आदेश, किसी राज्य के परिवहन विभाग द्वारा जारी ड्राइविंग लाइसेंस, भारत के चुनाव आयोग द्वारा जारी चुनाव फोटो पहचान पत्र, या भारतीय जीवन बीमा निगमों या सार्वजनिक कंपनियों द्वारा जारी पॉलिसी बांड शामिल हैं.

सूत्रों के मुताबिक, जन्म प्रमाण से संबंधित पासपोर्ट नियमों के प्रावधानों में लंबे समय से संशोधन नहीं किया गया था, क्योंकि पासपोर्ट आवेदकों, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले आवेदकों के पास बर्थ सर्टिफिकेट न होना आम बात थी. लेकिन अधिकारियों की ओर से जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम 1969 को लागू करने के लिए उठाए गए कदमों से जन्म और मृत्यु के रजिस्ट्रेशन में सुधार हुआ है, इसलिए बर्थ सर्टिफिकेट को जन्म तिथि का एकमात्र प्रमाण बनाया गया है.

जन्म और मृत्यु का पंजीकरण बढ़ा
गौरतलब है कि जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण अधिनियम, 1969 के तहत जन्म और मृत्यु का पंजीकरण कराना अनिवार्य है. नागरिक पंजीकरण प्रणाली के डेटा के अनुसार, भारत में जन्म का पंजीकरण बढ़कर 2019 में 92.7 प्रतिशत हो गया है, जो 2010 तक 82.0 प्रतिशत था. इसी तरह मृत्यु पंजीकरण भी बढ़कर 2019 में 92.0 प्रतिशत हो गया, जो 2010 में 66.9 प्रतिशत था.

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