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भ्रष्टाचार की नींव पर खड़े ट्विन टावर की उल्टी गिनती शुरू

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नोएडा। भ्रष्टाचार की नींव पर खड़े किये गये ट्विन टावर को गिराने की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। कुछ ही घंटों में नोएडा के सेक्टर-93 में बनी सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट के 32 मंजिला और 30 मंजिला दो टावर जमींदोज हो जाएंगे। इस टावर को बनाने में 400 करोड़ रुपये खर्च हुए जबकि इसको गिराने में 20 करोड़ का खर्च आने का अनुमान है।

कैसे शुरुआत हुई सुपरटेक कंपनी की
सुपरटेक कंपनी के मालिक का नाम आरके अरोड़ा है। आरके अरोड़ा की 34 कंपनियां हैं। ये कंपनियां सिविल एविएशन, कंसलटेंसी, कंस्ट्रक्शन, ब्रोकिंग, प्रिटिंग, फिल्म्स, हाउसिंग फाइनेंस, कं‍स्ट्रक्शन के काम करती है। आरके अरोड़ा ने अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर 1995 में नोएडा, ग्रेटर नोएडा, मेरठ, दिल्ली-एनसीआर समेत देशभर के 12 शहरों में रियल स्टेट प्रोजेक्ट लांच किए। इसके बाद एक के बाद एक 34 कंपनियां खोल दीं। https://sarthakpahal.com/

क्या है इस ट्विन टावर की कहानी
इन ट्विन टावर की कहानी शुरू होती है 2004 से। आवंटन के साथ 9 मंजिल की मंजूरी नोएडा अथारिटी से मिली थी। 29 दिसंबर 2006 में इसमें संशोधन कर 11 मंजिल तक फ्लैट बनाने की अनुमति मिली। इसके बाद 14, 15, 16 और 2009 में 17 मंजिल का नक्शा पास कर दिया। 2012 में फिर इसमें संशोधन करके इसे 40 मंजिल तक की अनुमति मिल गयी। इसकी ऊंचाई 121 मीटर तथा दोनों टावर के बीच की दूरी महज नौ मीटर रखी गयी, जबकि नियमानुसार 16 मीटर होनी चाहिए थी। इसके बाद मामला कोर्ट पहुंचा तो भ्रष्टाचार की नींव पर बने इन ट्विन टावर की परतें खुलनी शुरू हो गयीं। नौबत आज जमींदोज करने की आ गयी।

आखिर मामला कैसे पहुंचा कोर्ट?
फ्लैट बायर्स ने 2009 में आरडब्लू बनाया। इसी ने सुपरटेक के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ी। अथारिटी में सुनवाई न होने पर मामला हाईकोर्ट पहुंचा। 2014 में हाईकोर्ट ने ट्विन टावर को तोड़ने का आदेश जारी कर दिया। जांच में नोएडा अथारिटी के 15 अधिकारी और कर्मचारी दोषी पाये गये। इसके बाद सुपरटेक सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने सात साल की लड़ाई के बाद 31 अगस्त 2021 को इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा और तीन महीने के अंदर ट्विन टावर को गिराने का आदेश दे दिया।

दिवालिया हो चुका है ट्विन टावर का मालिक
ट्विन टावर गिराने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आरके अरोड़ा की स्थिति खराब होने लगी। ट्विन टावर में 711 फ्लैटों की बुकिंग हो चुकी थी। इसके लिए कंपनी ने लोगों से पैसे भी लिए थे, जो उसे ब्याज के साथ लौटाने पड़े। ट्विन टावर का मालिक आरके अरोड़ा ने यूनियन बैंक से 432 करोड़ का लोन लिया था। कर्ज न चुकाने पर इसी साल मार्च में कंपनी को दिवालिया घोषित कर दिया गया।

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