
उत्तराखण्ड का इतिहास पौराणिक है। उत्तराखण्ड का शाब्दिक अर्थ उत्तरी भू भाग का रूपान्तर है। इस नाम का उल्लेख प्रारम्भिक हिन्दू ग्रन्थों में मिलता है, जहां पर केदारखण्ड (वर्तमान गढ़वाल) और मानसखण्ड (वर्तमान कुमांऊं) के रूप में इसका उल्लेख है। उत्तराखण्ड प्राचीन पौराणिक शब्द भी है जो हिमालय के मध्य फैलाव के लिए प्रयुक्त किया जाता था। उत्तराखण्ड ‘देवभूमि’ के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यह समग्र क्षेत्र धर्ममय और दैवशक्तियों की क्रीड़ाभूमि तथा हिन्दू धर्म के उद्भव और महिमाओंं की सारगर्भित कुंजी व रहस्यमय है। पौरव, कुशान, गुप्त, कत्यूरी, रायक, पाल, चन्द, परमार व पयाल राजवंश और अंग्रेज़ों ने बारी-बारी से यहाँ शासन किया था। इस क्षेत्र को देव-भूमि व तपोभूमि माना गया है।
नरेंद्र सिंह नेगी को मिलेगा आवाज रत्न सम्मान
लोक संस्कृति, भाषा व साहित्य के लिए काम करने वाली आवाज साहित्यिक संस्था इस वर्ष हिदी दिवस पर प्रख्यात लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी को ‘द्वारिका प्रसाद मलासी आवाज रत्न’ से सम्मानित करेगी। आवाज साहित्यिक संस्था की बैठक में संगठन की कार्यकारिणी का विस्तार कर महेश चिटकारिया को सचिव, धनेश कोठारी को प्रवक्ता और मनोज मलासी को प्रचार सचिव की जिम्मेदारी सौंपी गई।